लेखनी कहानी -17-Oct-2022... साल मुबारक
साल मुबारक....
जी... आज के दिन आप हर गुजराती के मुख से ये शब्द जरूर सुनेंगे..।
आज यानि 26 अक्टूबर को गुजरातियों का नया साल हैं..।
वैसे तो हर साल दिपावली के अगले दिन ही यह त्यौहार मनाया जाता हैं लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण की वजह से यह त्यौहार आज मनाया जा रहा हैं...।
आज के दिन को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजन के रुप में भी जाना जाता हैं..।
आज हर गुजराती सवेरे सवेरे नहा धोकर नए कपड़े पहनकर अपने ईष्ट देव की पूजा अर्चना कर घर के बड़ों का आशीर्वाद लेकर परिवार सहित कहीं ना कही घुमने जाते हैं...।
घर में तो कुछ दिन पहले से ही तरह तरह की मिठाइयां बननी शुरू हो जाती हैं...। घरों की साज सजावट तो दिपावली के दिन से ही हो जाती हैं....। शाम के वक्त रिश्तेदार, पड़ौसी एक दूसरे के घर जाकर साल मुबारक कहते हैं..। छोटे बच्चे साल मुबारक की रसम के तौर पर कुछ उपहार मांगते हैं...। जिसे ईदी के नाम से भी जाना जाता हैं...।
आज व्यापारी वर्ग..अपनी अपनी दुकानों पर चोपड़ा पूजन करते हैं..। अर्थात नए वर्ष की शुरुआत पर नया हिसाब किताब ,नए खातों को शुरू किया जाता हैं..। दुकान पर बने मंदिर में पूजा की जाती हैं .... गल्ले की पूजा की जाती हैं...। परिवार के सभी सदस्य इस दिन अपनी आजिविका चलाने वाले स्थान पर जाकर विधी विधान से पूजा करते हैं...। घर की महिलाएं भी इस पूजा का हिस्सा बनती हैं..।
उसके बाद अपनी श्रद्धा अनुसार खान पान की व्यवस्था भी की जाती हैं...। सिर्फ दुकान ही नहीं घर के वाहनों की भी इस दिन साफ सफाई कर पूजा अर्चना की जाती हैं...।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक वर्ष का पहला माह होता हैं और गुजरात में नया साल कार्तिक की एकम को मनाया जाता हैं...।
गुजरात में नवरात्रि के अलावा आज का दिन भी बहुत महत्वपूर्ण होता हैं...।
जय श्री कृष्ण.... जय जिनेन्द्र.. जय जगन्नाथ......साल मुबारक... ये शब्द कहकर हर कोई एक दूसरे का अभिवादन करता हैं...।
सिर्फ गुजराती समाज ही नहीं बल्कि गुजरात में रहने वाला हर वर्ग का ,हर जाति का व्यक्ति इस दिन को उसी तरीके और उल्लास से मनाता हैं.....जैसे गुजराती लोग मनाते हैं..।
इस त्यौहार की सबसे खास बात जो मुझे बहुत पसंद हैं.... सभी लोग अपने सारे काम कुछ दिनों के लिए पूरी तरह से बंद करके कुछ दिन परिवार, पड़ौसी और रिश्तेदारों के साथ वक्त बिताते हैं...।
आजकल की भागदौड़ से चल रहीं दुनिया में अपनों के साथ वक्त बिताना सबसे ज्यादा मुश्किल होता जा रहा हैं..। लेकिन गुजरात में दिवाली के दूसरे दिन से जिसे बेसतुं बरस यानि नया साल कहते हैं... पांचम तक सभी दुकानें.... सारा कारोबार बंद रहता हैं... और ये कुछ दिन हर कोई अपने परिवार के साथ अलग अलग शहरों में घूमने जाते हैं...। ना रुपये की चिंता.. ना काम की फिक्र... ना खाने पीने की टेंशन ना घर काम का बोझ.... ये कुछ दिन सिर्फ और सिर्फ परिवार को समर्पित किए जाते हैं...। साल भर कमाकर... घर परिवार संभाल कर... इन कुछ दिनों को सुकून से जिया जाता हैं....।
लेकिन एक बात तो हैं की ये सब सिर्फ भारत जैसे देश में ही मुमकिन हैं...। यहाँ हर त्यौहार अपनी एक अलग कहानी बयां करता हैं...। हर रिवाज के पीछे ना जाने कितनी कथाएँ, कितनी मान्यताएँ, कितनी कहानियाँ होतीं हैं...। लेकिन फिर भी हम हर त्यौहार को सम्मान से मनाते हैं...। ये सिर्फ ओर सिर्फ भारत में ही हो सकता हैं...।
Abeer
27-Oct-2022 02:51 PM
Bahut achhi rachana
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Pratikhya Priyadarshini
27-Oct-2022 01:18 AM
Bahut khoob 💐👍
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आँचल सोनी 'हिया'
27-Oct-2022 12:48 AM
Bahut khoob 💐👍
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